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आजह / ककबा करैए प्रेम / निशाकर

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संसारमे हठात् किछु नहि होइत अछि
सभक ओजह रहैत अछि जरूर
कोनो ने कोनो।

ने हठात् जीत होइत अछि
ने हारि
ने हठात् प्रेम होइत अछि
ने घृणा
ने हठात् बिजुरी छिटकैत अछि
ने होइत अछि बरखा
ने हठात् पात पीअर होइत अछि
ने पात खसैत अछि
ने हठात् सुरुज उगैत अछि
ने डूबैत अछि।

कर्मक कोखिसँ जनमैत अछि
फल
फलक प्राप्ति होइत अछि
सिरही फानब-सन।