आज़ादी का नया वर्ष / हरिवंशराय बच्चन
प्रथम चरण है नए स्वर्ग का,
नए स्वर्ग का प्रथम चरण है,
नए स्वर्ग का नया चरण है,
नया क़दम है!
जिंदा है वह जिसने अपनी
आज़ादी की क़ीमत जानी,
ज़िंदा, जिसने आज़ादी पर
कर दी सब कुछ की कुर्बानी,
गिने जा रहे थे मुर्दों में
हम कल की काली घड़ियों तक,
आज शुरू कर दी फिर हमने
जीवन की रंगीन कहानी।
इसीलिए तो आज हमारे
देश जाति का नया जनम है,
नया कदम है!
नए स्वर्ग का प्रथम का चरण है,
नए स्वर्ग का नया चरण है,
नया कदम है,
नया जनम है!
हिंदू अपने देवालय में
राम-रमा पर फूल चढ़ाता,
मुस्लिम मस्जिद के आंगन में
बैठ खुदा को शीश झुकाता,
ईसाई भजता ईसा को
गाता सिक्ख गुरू की बानी,
किंतु सभी के मन-मंदिर की
एक देवता भारतमाता!
स्वतंत्रता के इस सतयुग में
यही हमारा नया धरम है,
नया कदम है!
नए स्वर्ग का प्रथम का चरण है,
नए स्वर्ग का नया चरण है,
नया कदम है,
नया धरम है!
अमर शहीदों ने मर-मरकर
सदियों से जो स्वप्न सँवारा,
देश-पिता गाँधी रहते हैं
करते जिसकी ओर इशारा,
नए वर्ष में नए हर्ष से
नई लगन से लगी हुई हो
उसी तरफ़ को आँख हमारी,
उसी तरफ़ को पाँव हमारा।
जो कि हटे तिल भर भी पीछे
देश-भक्ति की उसे कसम है,
नया कदम है!
नए स्वर्ग का प्रथम का चरण है,
नए स्वर्ग का नया चरण है,
नया कदम है!
नया जनम है!
नया धरम है!