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आजादी केॅ पचासवाँ वर्ष / मथुरा नाथ सिंह 'रानीपुरी'
Kavita Kosh से
पचास बितलै आजादी केॅ
बढलोॅ जाय छै सगरो चोर
कुर्सी-कुर्सी में घुसखोरी
सगठे मचलोॅ जाय छै शोर॥
जन्ने-तन्ने लुटै लुटेरा
बे-मानी केॅ सगरो घेरा
भ्रष्टाचार केॅ देखी-देखी
अंखियो भैलै लोर-सलोर॥
जात-पात केॅ झगड़े-झगड़ा
मन्दिर-मस्जिद लफड़े-लफड़ा
खिच-खिच करै आ आना-कानी
फटलोॅ जाय छै यही पटोर॥
टुटलोॅ जाय छै हड्डी-पसली
के असली छै के छै नकली
डर लागै छै डेगे-डेगे
एक दोसरा सें छै कोर॥
हे आजादी तोंय बताबोॅ
तू-तू में-सें लाज बचावोॅ
धिकवा-मत्थन, उटका-पैंची
सें धरती नै करोॅ घिकोर॥
आजादी केॅ नै तोॅ लूटोॅ
‘रानीपुरी’ नय् है रंग टूटोॅ
करोॅ विकास अपना देशोॅ केॅ
मांटी केॅ सब पोछोॅ लोर॥