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आजुक महाकारूणिक बुद्ध / यात्री

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आजुक महाकारूणिक बुद्ध
छपबइ छथि अपन वक्तव्य
अमेरिका-इंग्लैन्ड-फ्रांस-जापन मेंँ
ने जानि, कत’ कत’ सँ अबइ छनि भक्त-अनुरक्त
जाइत छन्हि चढ़ा नानाविध नैवेद्य!
आजुक महाकारूणिक बुद्ध
पहिरि लइ छथि कउखन कउखन
शए टाकावला जोड़ा चढ़उआ चप्पल
ओढ़ि लइ छथि कउखन कउखन
हजार टाकावला जोड़ा पश्मीना चद्दरि
पाबि लइ छथि कउखन कउखन
आस्ट्रेलियाक सेब, इस्त्राइलक अंगूर
आजुक महाकारूणिक बुद्ध
रहइ छथि सदक्षण अपस्याँत
कुवेर लोंकनिक हृदयकेँ द्रवित करबाक हेतु
अउनाएल घुरइ छथि दिवारात्रि
कलकŸाा-मद्रास-बंबइ-दिल्ली
दिल्ली- बंबइ-मद्रास-कलकŸाा
आजुक महाकारूणिक बुद्ध
ने जानि, कहिआधरि पूर्ण हेतइन हिनक भिक्षापात्र!
साठिसँ बेशिए भ’ गेलइन वयःक्रम
अहि रओ बा!.... कत’ विश्वक कोन दोगमेँ
नुकाइलि छथि आजुक विशाखा मृगारमाता!
अपार वैभवक अधिस्वामिनी-
सहज द्रवणशीला, परम अनरक्ता...
भेटथीन कहिआ धरि हिनका सैठानी विशाखा ?
के कहओ, कहिआ, सिद्धिक प्रतापेँ
अमावास्याक निबिड़ निशीथमध्य
आप्लावित क’ देथिन
निरंजना नदीक बलुआही पाट
आजुक महाकरूणिक बुद्ध!
भिक्षाटन? भिक्षाटन त हिनक महालीलाक
मामली अभिनय थीक शतांश मात्र!

आजुक महाकारूणिक बुद्ध
केलिफोर्नियाक देहातमेँ
खेने रहथि खीर गौरांगी सुजाताक हाथेँ
बुद्धत्व-प्राप्तिसँ’ एक राति पूर्व!
तत्पश्चात् केने रहथि युगधर्म-चक्र-प्रवर्तन!
सउँसे सृष्टिमेँ, लागली पहुँचाबऽ
हिनक प्रवचनक एक एक आखर केँ
भारत भूमिक दोरस बसात....
जूमऽ लगलथीन नहू-नहू
सारिपुत्र, मौद्गल्यायन, महाकाश्यप....
छलथीन आइलि शरणमेँ हिनको
नगरवधू आम्रपाली....
अपन परित्यक्ता यशोधरापर
भेल छलइन अंकुरित हिनको हृदयमेँ
अपरिसीम करूणा...

साइन्सक पचफोड़नासँऽ छोंकल छइन
आजुक बुद्धक विवेक ओ संयम
शोघित छइन मैत्री भावना हिनक
अर्थशास्त्र-राजनीति आदिक पुटपाक सँऽ...
वियत्नाम दिश केने पीठ,
तकई छथि तिब्बत दिश
आजुक महाकारूणिक बुद्ध!