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आज उल्फ़त लगी आजमाने मुझे / रंजना वर्मा

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आज उल्फ़त लगी आजमाने मुझे।
गीत अब दीजिये गुनगुनाने मुझे॥

गाँव अपना मसर्रत का छूटा कहीं
अब न देगा जहाँ मुस्कुराने मुझे॥

आप मिलिये खिली चाँदनी में कभी
राज़ हैं अपने दिल के बताने मुझे॥

है सहम कह रही आँसुओ की परी
छेड़ने हैं लगे ग़म दिवाने मुझे॥

है ग़रीबों की बस्ती यहाँ बस गयी
ढूँढने हैं अभी पर ठिकाने मुझे॥

मोड़ पर हर खड़े हैं लुटेरे यहाँ
ख़्वाब हैं रौशनी के बचाने मुझे॥

हर तरफ से अँधेरा घिरा आ रहा
हैं कई दीप अब भी जलाने मुझे॥