आज कोए राज नहीं न्यायकारी / मुकेश यादव
आज कोए राज नहीं न्यायकारी
जनता फिर री मारी मारी
झूठा ढोंग रचा राख्या,
न्यारे-न्यारे पाड़ै, फूट का फायदा ठा राख्या
शहीदां नै दी थी कुर्बानी, देश बचावण नै
हँस कै फांसी टूट गये, आजादी ल्यावण नै
रोवैं थी उनकी महतारी
जिन्दगी लागै थी बड़ी प्यारी
कती ना धोखा खा राख्या
बिल्कुल ना सै चूक सोच कै कदम उठा राख्या
मिली आजादी गरीबां के तै सपने टूट ग्ये
टाटा-बिड़ला अम्बानी अड़ै चांदी कूटग्ये
कोए तै रकम बणाग्या भारी
किसै की मजदूर गई मारी
खाली हाथ घरां आग्या
सोग्या भूखै पेट अन्धेरा आख्या म्हं छाग्या
सत्ताधारी खाग्ये देश नै, लूट-लूट कै
विदेशी कम्पनी आगी, खांगी चूट-चूट कै
अफसर नेता और व्यापारी
कट्ठे होर्ये भ्रष्टाचारी
किसा गठजोड़ बणा राख्या
अरबां दौलत जोड़ देश कै चूना ला राख्या
जात-धरम और गोत नात पै, हम सारे बांटे
मुकेश कह हम लड़ा-भिड़ा कै, अलग-अलग छांटे
कट्ठे होल्यो रै नर-नारी
सब कुछ बेचण की तैयारी
कमीशन मोटा खा राख्या
साची सै या बात, यो असली भेद छुपा राख्या