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आज जनकपुर ब्याह सखी री / बुन्देली

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

सीता के चढ़त चढ़ाये,
अवधपति ब्याहन को आये।
सुरहन गौ को गोबर मंगाओ,
ओई से अंगना लिपाये।
अवधपति ब्याहन को आये। सीता...
सोने के पाटा में सीता जी बैठीं
मुतियन चौक पुराये।
अवधपति ब्याहन को आये। सीता...
ठांड़े जनक मन में मुस्काये
समरथ के नात हम पायें,
अवधपति ब्याहन को आये। सीता...
जनकपुर में मंगल छाये, सब के मन हर्षाये।
अवधपति ब्याहन को आये। सीता...