आज जो गाजते हैं
कल गाज लें
क्या बरसों वह गाजते जाएंगे
शक्ति की ऎंठ में
लूट के माल को
लुटक गर्व से साजते जाएंगे
जो लुटे हैं
वह भीतरी हाय को
भीतर-भीतर मांजते जाएंगे
क्या इन लूटकों
और लुटे हुओं को
दिन-रात ये गाजते जाएंगे
आज जो गाजते हैं
कल गाज लें
क्या बरसों वह गाजते जाएंगे
शक्ति की ऎंठ में
लूट के माल को
लुटक गर्व से साजते जाएंगे
जो लुटे हैं
वह भीतरी हाय को
भीतर-भीतर मांजते जाएंगे
क्या इन लूटकों
और लुटे हुओं को
दिन-रात ये गाजते जाएंगे