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आज तुझे क्यूँ चुप सी लगी है / नासिर काज़मी

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आज तुझे क्यूँ चुप सी लगी है
कुछ तो बता क्या बात हुई है

आज तो जैसे सारी दुनिया
हम दोनों को देख रही है

तू है और बे-ख़्वाब दरीचे
मैं हूँ और सुनसान कली है

ख़ैर तुझे तो जाना ही था
जान भी तेरे साथ चली है

अब तो आँख लगा ले 'नासिर'
देख तो कितनी रात गई है।