Last modified on 19 जुलाई 2020, at 22:31

आज तेरा वह शहर याद आया / कैलाश झा 'किंकर'

आज तेरा वह शहर याद आया
जुल्म-आतंक का डर याद आया।

देश अपना तो नहीं ऐसा था
प्रेम-सौहार्द्र का घर याद आया।

तीरगी में ही भटकते थे हम
यातनाओं का सफ़र याद आया।

एक उतरा था फरिश्ता भू पर
उनका प्यारा वह असर याद आया।

लाओ हम भी तो उठा कर पी लें
आज मीरा का ज़हर याद आया।

कितना सहता है विरोधी को वह
सच में फौलादे-जिगर याद आया