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आज तो मन अनमना / रामकुमार कृषक
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आज तो मन अनमना गाता नहीं
खुद बहल औरों को बहलाता नहीं
आदमी मिलना बहुत मुश्किल हुआ
और मिलता है तो रह पाता नहीं
ग़लतियों पर गलतियाँ करते सभी
ग़लतियों पर कोई पछताता नहीं
दूसरों के नंगपन पर आँख है
दूसरों की आँख सह पाता नहीं
मालियों की भीड़ तो हर ओर है
किंतु कोई फूल गंधाता नहीं
सामने है रास्ता सबके मगर
रास्ता तो खुद कहीं जाता नहीं
धमनियों में खून के बदले धुआँ
हड्डियाँ क्यों कोई दहकाता नहीं