भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आज दधि मीठो मदन गोपाल / परमानंददास

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आज दधि मीठो मदन गोपाल ।
भावे मोही तुम्हारो झूठो, सुन्दर नयन विशाल ॥
बहुत दिवस हम रहे कुमुदवन, कृष्ण तिहारे साथ ।
एसो स्वाद हम कबहू न देख्यो सुन गोकुल के नाथ ॥
आन पत्र लगाए दोना, दीये सबहिन बाँट ।
जिन नही पायो सुन रे भैया, मेरी हथेली चाट ॥
आपुन हँसत हँसावत औरन, मानो लीला रूप ।
परमानंद प्रभु इन जानत हों, तुम त्रिभुवन के भूप॥