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आज पहले एक यह वादा करो तो / रंजना वर्मा

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प्रिय तुम्हें मैं अंक में अपने सुला लूँ
किंतु पहले एक यह वादा करो तो।
साथ तुम दोगे सदा मेरे रहोगे
उठो पहले मांग तुम मेरी भरो तो।
आज पहले एक यह वादा करो तो॥

तुम कहो तो श्याम अलकों की घटा से
मैं तुम्हारा ताप हर लूँ शाम कर दूँ,
रात के घायल अंधेरे में विभा बन
प्यार का कोई सलोना काम कर दूँ।

मैं तुम्हें सम्बल बना लूं ज़िन्दगी का
किंतु पहले साथ का वादा करो तो।
आज पहले एक वादा करो तो॥

ओ अपरिचित प्यार तुम मेरा सँवारो
मैं तुम्हारी ज़िन्दगी त्यौहार कर दूँ,
तुम संभालो बाहों में मेरा बदन तो
मैं तुम्हारी ज़िन्दगी में प्यार भर दूँ।

बहुत छल तुमको मिला पर एक बाजी और खेलो
क्या पता तुम जीत लो मैं हार जाऊँ।
मैं सदा दासी चरण रज की बनूंगी
किंतु पहले प्यार तुम मुझसे करो तो।
आज पहले एक यह वादा करो तो॥

तुम तपन मेरी हरो मैं तृप्ति बन जाऊँ तुम्हारी
देवता आराध्य तुम हो मैं बनूँ निर्धन पुजारी।
मैं तुम्हारी अर्चना के हेतु पूजा थाल लाऊँ
पर प्रथम सिंगार तुम मेरा करो तो।
आज पहले एक यह वादा करो तो॥

सिर्फ है कि वादियो में बंद होकर
एक दूजे की मधुर मनुहार कर लें,
चाँदनी की रात हो या हो अमावस
रात भर एक दूसरे को प्यार कर लें।

सच, जला कर खाक कर दूँ गम तुम्हारा
किंतु पहले प्यार तुम मुझसे करो तो।
आज पहले एक यह वादा करो तो॥

बीत जाये हर निशा अपनी नयन में
गीत बन आओ सदा तुम ही सपन में।
सुलगते जज़्बात तुम पर वार दूँ मैं
धधकते अंगार जैसा प्यार दूँ मैं।

मौन चुप-सी बाँसुरी में तान भर दूँ
किंतु पहले मांग तुम मेरी भरो तो।
आज पहले एक यह वादा करो तो॥