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आज फिर इंद्रधनुष आसमान में निकला / साँझ सुरमयी / रंजना वर्मा

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आज फिर इंद्र धनुष आसमान में निकला॥

आज फिर श्याम सड़क
पर हैं झुर्रियाँ आयीं
आज फिर धूप की कलियाँ
चटक के मुस्काईं।

बड़ी मुद्दत के बाद गगन में तपन पिघला।
आज फिर इंद्र धनुष आसमान में निकला॥

जब कि आगे हो बड़ी
लम्बी डगर जीने को
आगे पीयूष भरा प्याला
रखा पीने को।

कौन फिर याद करे बीत गया जो पिछला।
आज फिर इंद्र धनुष आसमान पर निकला॥

जब गगन झूम के बरसे
हमारे आँगन में
जब सिहर जाये रोम रोम
ख़ुशी हो मन में।

ऐसे में कोई मसूरी या क्यों जाये शिमला।
आज फिर इंद्र धनुष आसमान में निकला॥