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आज फिर दिल में बहुत उदासी है / पल्लवी मिश्रा
Kavita Kosh से
आज फिर दिल में बहुत उदासी है,
आँख में पानी मगर रूह प्यासी है।
होगें कब वो मेहरबां, कब कहर ढायेंगे?
उनकी फितरत भी मानों खुदा-सी है।
भेद उनके दिल का है पाना बहुत ही मुश्किल,
उनकी हर हरकत जैसी सियासी है।
जुबाँ से इकरार भले वो न करें कभी,
बेरुखी निगाहों की मगर एक बेवफा सी है।
मेरी मैयत पर ही शायद बहा सकें आँसू,
अब भी उनसे यह उम्मीद जरा सी है।