लेखन वर्ष: २००३
आज फिर मुझको खिड़की से
दिख रहा है चाँद आधा-आधा
जिस तरह से मैं जी रहा हूँ
वो भी कहीं जी रहा है आधा-आधा
लेखन वर्ष: २००३
आज फिर मुझको खिड़की से
दिख रहा है चाँद आधा-आधा
जिस तरह से मैं जी रहा हूँ
वो भी कहीं जी रहा है आधा-आधा