भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आज फिर याद पुरानी वो कहानी आई / राजेश चड्ढा
Kavita Kosh से
आज फिर याद पुरानी वो कहानी आई,
उम्र हल्की-सी हुई फिर से जवानी आई ।
ख़त का रंग खुद ही गुलाबी-सा हुआ,
और कुछ बात तेरी याद जुबानी आई ।
दिन को फूलों से बहुत हमने सजा कर रखा,
ख़्वाब में आई तो बस रात की रानी आई ।
अब भी हाथों को मेरे तेरा भरम होता है
जब भी हाथों में मेरे तेरी निशानी आई ।