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आज फिर वो पुरानी कहानी याद आई / राजेश चड्ढा

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आज फिर याद पुरानी वो कहानी आई,
उम्र हल्की-सी हुई फिर से जवानी आई ।

ख़त का रंग खुद ही गुलाबी-सा हुआ,
और कुछ बात तेरी याद जुबानी आई ।

दिन को फूलों से बहुत हमने सजा कर रखा,
ख़्वाब में आई तो बस रात की रानी आई ।

अब भी हाथों को मेरे तेरा भरम होता है
जब भी हाथों में मेरे तेरी निशानी आई ।