जागो बेटी देखो उठकर
कैसा उजला हुआ सवेरा
कोयल कुह-कुह बेल रही है
स्वागत करती है यह तेरा
आज बसंत पंचमी का दिन
पूजेंगे सब सरस्वती को
विद्या कि देवी है यह तो
देती है वरदान सभी को
उठो अभी मंजन कर लो तुम
फिर तुमको नेहलाऊँगी
बासनती कपड़े पहनकर
चन्दन तिलक लगाऊँगी
पूजा करके हम तीनों ही
पीले चावल खायेंगे
दादा बांटेंगे प्रसाद तो
सब ही मिलकर पायेंगे।
उसके बाद सैर करने को
हम बगिया में जायेंगे
सरसों फूली बौर आम में
देख देख सुख पायेंगे
नीलकंठ पक्षी भी हमको
दर्शन देने आयेगा।
आज बसन्त पंचमी का दिन
तभी सफल हो पायेगा।