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आज माँ घबराई हुई है / लीलाधर मंडलोई

फिजाओं में ख़ुशबू का मेला है
रंगीनियां बिख़री हुई हैं
बाज़ार सज-धज के खड़े हैं
हवाओं में नग़मे रोशन

बच्चों के लिए आज तो
दिन है मौज़-मस्ती का

माँ कहती है लेकिन
घर से बाहर न निकलना

आज त्यौहार का दिन है
आज माँ घबराई हुई है