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आज मिलौ है सुख साँचौ सौ / महेश कटारे सुगम
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आज मिलौ है सुख साँचौ सौ ।
मिल गऔ है कौनऊं अपनौ सौ ।
उठत भुंसरा मौ देखौ है,
दिन निकरौ नौनौं नौनौं सौ ।
देखत देखत उकता गए ते,
सडौ बुसौ रूखौ रौनों सौ ।
खनक भरी बोली है ऐसी,
जैसें खनकत है कांसौ सौ ।
लगै देख कें ऊखों जैसें,
भौत पुरानौ है नातौ सौ ।
केउ दिनन के बाद देखवे,
मिलौ सुगम कौनऊं सपनौ सौ ।