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आज मैं ने गुनाह कर डाला / दीपक शर्मा 'दीप'

आज मैं ने गुनाह कर डाला
आह पे वाह-वाह कर डाला

ख़ैर होता नहीं था हमसे भी
ख़ैर हमने निबाह कर डाला

यार! मंज़िल थी मेरे पैरों में
रहनुमाओं ने राह कर डाला

सांप डसता नहीं भला कैसे
हाथ मैंने ही चाह कर डाला

तुमने पूछा भी नहीं 'होना है?'
एकदम से तबाह कर डाला..