आज यूँ ही नहीं महकी मेरी तन्हाई है
ऐसा लगता है हवा छू के तुझे आई है
फिर तेरी याद ने रोशन किये पलकों पे दिये
आज फिर नाज़िशे महफिल मेरी तन्हाई है
आज यूँ ही नहीं महकी मेरी तन्हाई है
ऐसा लगता है हवा छू के तुझे आई है
फिर तेरी याद ने रोशन किये पलकों पे दिये
आज फिर नाज़िशे महफिल मेरी तन्हाई है