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आज राम जी से खेलब होरी सखी / महेन्द्र मिश्र
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आज राम जी से खेलब होरी सखी।
लाल गुलाल कुमकुमा केसर अबिर लिए भर झोरी।
राम लखन पर अबिर लगइहों पीताम्बर रंग बोरी।
फँसाइब प्रेम के डोरी।
ढोल ताल करताल बजावत होरी खेलत बरजोरी।
गाई बजाई रिझावत उनके गाल गुलाल मलो री।
कहत चलऽ होरी होरी।
बड़े भाग सखी फागुन आईल सभ मिली आज चलोरी।
कंचन थार संवार सखी री छिप के चलो खोरी-खोरी।
रंग केसर की चोरी।
सरजुग तीर अयोध्या नगरी वन प्रमोद निरखोरी।
पिचकारिन की धूम मची है द्विज महेन्द्र घनघोरी।
होरी चहुँ ओर मचो री।