मगही लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
आज लाड़ो<ref>लाड़ली</ref> केरा अजबी बहार रे बना।
बाना<ref>भद्र, दुलहा</ref> सुरती<ref>शक्ल-सूरत</ref> गजबी सोहार<ref>शोभायमान, सुन्दर</ref> रे बना॥1॥
बाना, अपन अपन नयनमा<ref>नयन</ref> सम्हार रे<ref>सँभालो</ref> बना।
बाना, लगी जयतउ नजरी के बान रे बना॥2॥
बाना, दुलहा हइ दुलहिन के जोग रे बना॥3॥
शब्दार्थ
<references/>