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आज सरेआम घोषणा कर रहे है आप / सांवर दइया
Kavita Kosh से
आज सरेआम घोषणा कर रहे है आप।
नयी सुबह लाने का दम भर रहे आप।
आवाज तो आती, लेकिन खुलकर नहीं,
लगता भीतर कहीं जरा डर रहे आप।
न जाने कितने चूल्हे उखड़ जायेंगे,
सोचें तो सही, यह क्या कर रहे आप!
राख हटी तो खिल उठेंगे ये अंगारे,
शौकिया फूंक मार गजब कर रहे आप!
यक़ीन तो है न भोर के घर जायेगा,
जिस रास्ते में सफ़र तय कर रहे आप?