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आज हम दीप जलायें घर में / अवधेश्वर प्रसाद सिंह
Kavita Kosh से
आज हम दीप जलायें घर में।
चाँद को रात बुलायें घर में।।
दीप हम क्यों न जलायें छठ है।
हम सभी हर्ष मनायें घर में।।
आज की रात बड़ी होनी है।
दो घड़ी साथ निभायंे घर मंे।।
गैर भी आज सभी अपने हैं।
आ उसे पास बिठायें घर में।।
द्वार दरवेश अगर आयें तो।
रोक भर पेट खिलायंे घर में।।