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आज हूँ, कल चला जाऊंगा / शिव रावल

आज ख़्वाब-सा टूटा हूँ
कल याद-सा भुला दिया जाऊँगा
आज साथ-सा बिछड़ा हूँ
कल बात-सा सुना दिया जाऊँगा
माना बीता हूँ पर आज हूँ
कल फ़िर गुजरे वक़्त में समेट दिया जाऊँगा
यही दस्तूर है 'शिव'
कल आया था, आज हूँ, कल चला जाऊँगा