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आठ काठ कर कुँइयाँ, गोरी तिरिया पानी भरे हे / भोजपुरी

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आठ काठ कर कुँइयाँ, गोरी तिरिया पानी भरे हे;
हथयन चढे़ले महावत, उपरे ताल नवसे नू हो।।१।।
आरे-आरे कुँइयाँ पनिहारिन, तुहुँ मोरे बहिन हो;
आरे छाक एक पनिया पिआवहु, हिरदया जुड़ावहु रे।।२।।
हाँ रे, पानी के पियासल छैला, पानी पिहु रे, नैना देखि जनि भूलहु रे;
तोरा अइसन पिया पातर लवंगे बनिजी गइले रे।।३।।
हाँ रे, लवंगि बनिजी गइले कुँअर, बहुत दिन बीते, अवर सखि हो;
कोउ नाहीं हितवन आपन, सनेसवा पठाइब हे।।४।।
हाँ रे, बारहो बरिस पर कुँअर, लवटले, कि बर तर होइ्र गइले ठाढ़,
अबर सखि हे, बर तर होई गइले ठाढ़;
माता ले आवे जुडि़ पानी, त बहिनी सिंगासन,
आरे, बाबू बइठू सिंगासन, पिअहु जुडि़ पानी नू रे।।५।।
हाँ रे, घोड़वा चढ़ल कुँअर पूछेले, मोर धनि कहाँ बसे हो;
हाँ रे, तोर धनि बिरहा के मातल, परघरे सोवेले रे।।६।।
हाँ रे, हींचि चाभुक कुँअर मारे, अउर देले धूरा छींटि रे;
हाँ रे, सुसुकि-सुसुकि धनि रोवे, पटोरवन लोर पोंछें रे।।७।।
मोरा पिछुअरवा सोनार भइया हितवा, कि तुहुँ लागू हे,
कि धनि जोगे बेसरी बनाव, कि धनि परबोधब हे।।८।।
हाँ रे, बेसरी पेन्हस तोरे माई, बहिनि-पितिआइन हे, अवर सखि हो,
हम धनि भाव के भूखल, दरसन चाहिले हे।।९।।