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आठ बुल्दां का रे हालिड़े नीरणा / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
आठ बुल्दां का रे हालिड़े नीरणा चार हालियां का छाक
बरसण लागी रे हालिड़े बादली
डौले ते डौले हालिड़े मैं फिरी हमने ना पाया थारा खेत
बरसण लागी रे हालिड़े बादली
ऊंचे तै चढ़ के गोरी देख लो गोरे बुल्द के बंध री टाल
बरसण लागी रे हालिड़े बादली
कित सी अब बौवां रै गोरी बाजरा कित सी अक जवार
बरसण लागी रे हालिड़े बादली
थालियां में बोइए हालिड़े बाजरा डहरां में बोइए जवार
बरसण लागी रे हालिड़े बादली
कितना बधा सै हालिड़े बाजरा कितनी बधी सै जवार
बरसण लागी रे हालिड़े बादली
छोटी रै पोरी गोरी बाजरा लाम्बी रै पोरी जवार
बरसण लागी रे हालिड़े बादली