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आतंक के अन्धकार में एक मशाल - दो शब्द / निदा नवाज़

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अपार प्रसन्नता के साथ अपना दूसरा हिंदी काव्य-संग्रह “बर्फ़ और आग” आपको भेंट कर रहा हूँ. पन्द्रह वर्ष पूर्व मेरा पहला कविता संग्रह “अक्षर अक्षर रक्त भरा” उन दिनों प्रकाशित हुआ जब कश्मीर घाटी में आतंकवाद अपनी चरम सीमा पर था. मैं कश्मीर घाटी में, किसी सुरक्षा-घेरे में रहे बिना, आम लोगों के बीच रहकर भयावह परिस्थितियों में हिंदी में साहित्य सृजन करता आ रहा हूँ. मैं हिंदी के अतिरिक्त उर्दू और कश्मीरी में भी लिखता रहा हूँ. “बर्फ़ और आग” काव्य संग्रह हर प्रकार के आतंकी अन्धकार के विरोध में एक रोशन मशाल प्रज्वलित करते हुए मानवता का संदेश चारों ओर पहुँचाने का एक दृढ़ प्रयास है.
 
निदा नवाज़