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आतंक के घेरे में / महेन्द्र भटनागर
Kavita Kosh से
एक बहुत बड़ी और गहरी
साज़िश की गिरफ़्त में है देश !
चालाक और धूर्त गिरोहों के
चंगुल में फँसा
छद्म धर्म और बर्बर जातीयता के
दलदल में धँसा,
- एक बहुत बड़ी और घातक
- जहालत में है देश !
- एक बहुत बड़ी और घातक
आत्मीय रिश्तों का पक्षधर
दोस्ती के
सपनों व अरमानों का घर,
- एक बहुत बड़ी और भयावह
- दहशत में है देश !
- एक बहुत बड़ी और भयावह
संलग्न
सभ्य और नये इंसानों की अवतारणा में,
संलग्न
शांति और अहिंसा की
कठिनतम साधना में,
- एक बहुत बड़ी और भारी
- मुसीबत में है देश !
- एक बहुत बड़ी और भारी