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आतप-तपी सुमेरु-शरीरा / केदारनाथ अग्रवाल
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आतप-तपी सुमेरु-शरीरा
नदी-नाद-नद-वाद-वादिनी
- सिंधु-गंभीरा,
मूर्ति पूर्ति की,
- त्याग-तोष की तीरा,
सत्य सँवारी
- धरा हमारी
विदा-वन्दना-सहित अर्चना
- रवि को दे कर
अन्तिम अरुणा की कर-कम्पित
- करुणा ले कर
धावित आते अंधकार पर
- जय पाने को सजग खड़ी है ।