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आता-जाता आदमी / शुभा
Kavita Kosh से
चिड़िया गाती है
हवा पानी में घुल जाती है
धूप रेत में घुस जाती है
पेड़ छाया बनकर दौड़-भाग करते हैं
पानी पर काई फैलती है बड़ी शान से
टिड्डे उड़ान रोककर घास पर कूदने लगते हैं
ओछे दिल का आदमी बड़ी-बड़ी आँखें
बड़े-बड़े कान लिए आता-जाता रहता है
बिना कुछ देखे-बिना कुछ सुने