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आता न उस वक़्त पै दारा सुत धन काम / गंगादास

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आता न उस वक़्त पै दारा सुत धन काम ।
रुका कंठ, धरके कहें, अब तुम बोलो राम ।।

अब तुम बोलो राम पति ! पत्नि हूँ तेरी ।
कैसे होगी गुजर, एक बार बोलो, मेरी ।।

गंगादास उस वक़्त कोई मारग पाता ना ।
नव दर हो गए बंद स्वांस पूरा आता ना ।।