आत्मन् अपनी छड़ी फेंक देता था
अस्त-व्यस्त कपड़ों को भूल
बेतरतीब नाचता था
भीड़ खड़ी पूछती थी-- हुआ क्या ?
आत्मन् कहता था-- देखो और जानो !
आत्मन् अपनी छड़ी फेंक देता था
अस्त-व्यस्त कपड़ों को भूल
बेतरतीब नाचता था
भीड़ खड़ी पूछती थी-- हुआ क्या ?
आत्मन् कहता था-- देखो और जानो !