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आत्मबल / अशोक लव
Kavita Kosh से
सहते हैं पर्वत
बर्फीली ठंडक
तीव्र अंधड़
कांपते भूकंप
स्वीकारते हैं चुनौती आकाश की
लालायित रहते हैं
भरने के लिए बाहों में आकाश
नहीं आने देते निकट
निराशाओं की हवाएँ
पर्वतों के वक्षस्थल पर अंकित चिन्ह
जीवंत गाथाएँ हैं
उनके संघर्षों की
एकांत में
एकांत को जीते हाँ पर्वत
बहुत साहसी होते हैं
अपनी-अपनी लडाई लड़ते लोग
एकांत में पर्वतों की तरह
सब कुछ सहकर
आगे बढ़ते लोग