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आत्मसवांद / सरोज कुमार

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मैं जब-जब अपने से
बातें करना चाहता हूँ
न जाने कौन कौन
बीच में आ जाता है
आत्म-सवांद बाधित करते हुए!

उन्हें दूर तक धकियाता हूँ
मुक्त होता हूँ!
पर जब वापस लौटता हूँ अपनी जगह
तब स्वयं को वहाँ नहीं पाता
जहाँ अभी-अभी
छोड़कर गया था!