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आत्महत्या के विरुद्ध / पंकज चतुर्वेदी /असद ज़ैदी

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एक बार किशोर अवस्था में
हताशा के किसी क्षण में
मैंने माँ से कहा :
'मैं आत्महत्या कर लूँगा !'
उन्होंने जवाब दिया :
'मेरे साथ यह घटियाई
मत करना !'
वह बहुत कम
पढ़ी-लिखी हैं
पर जो ज्ञान
उन्होंने मुझे दिया
आज तक
किसी किताब में
नहीं मिला।

और लीजिए अब पढ़िए असद ज़ैदी के अँग्रेज़ी अनुवाद में यही कविता
AGAINST SUICIDE

In one of those dark moments
of adolescence
I once told my mother:
‘I will kill myself.’
She simply said:
‘Don’t ever inflict
this sort of baseness on me!’
She could barely
read and write.
The lesson
she taught
was never to be found
in any book.

Translated from Hindi by Asad Zaidi
——
[The original title of this poem, 'ātmahatyā ke viruddha', is a tribute to Raghuvir Sahay, whose book of the same name, published in 1967, was a major influence on contemporary Hindi poetry.]