आत्म परिचय (पैरोडी) / बेढब बनारसी
डिगरियों का मैं लिए अम्बार फिरता हूँ,
'रिकमेन्डेशन' - का भार लिए फिरता हूँ,
हर जगह, जगह है नहीं, सदा आती है,
फिर भी 'सरविस' का प्यार लिए फिरता हूँ,
बीबी बच्चों का भार लिए फिरता हूँ
बेकारी का संसार लिए फिरता हूँ
हर रोज 'वांटेड' नया देखने को मैं,
कुछ नए नए अखबार लिए फिरता हूँ.
कविताओं के मैं भंडार लिए फिरता हूँ
नायिकाभेद श्रृंगार लिए फिरता हूँ
पीकर एक प्याला हाला, मधुशाला से
टूटी वीणा का तार लिए फिरता हूँ
कवि-सम्मलेन का तार लिए फिरता हूँ
तुकबंदी की भरमार लिए फिरता हूँ
क्यों आप सभापति नहीं बनाते मुझको,
मैं कविता का कतवार लिए फिरता हूँ
उनके पीछे मैं कार लिए फिरता हूँ
अरमानों के उपहार लिए फिरता हूँ,
बोलेन न सही किक ही करदें वह मुझको
बस यह इच्छा सरकार लिए फिरता हूँ
मैं दिल में उनका प्यार लिए फिरता हूँ
फिर भी दिल में एक 'खार' लिए फिरता हूँ
लेली है मैंने खींच के उनकी फोटो
मैं पाकेट में दिलदार लिए फिरता हूँ
मैं उजड़ा एक संसार लिए फिरता हूँ
स्मृतियों का भंडार लिए फिरता हूँ
कितना खोजा तुम नजर नहीं आते हो
फिर भी मैं आँखें चार लिए फिरता हूँ
(बच्चन जी के 'आत्म परिचय' की पैरोडी)