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आदतें, अभी तक / बैर्तोल्त ब्रेष्त / उज्ज्वल भट्टाचार्य
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रक़ाबियाँ यूँ ज़ोर से पटकी जाती हैं
कि शोरबा छलक जाता है ।
रूखी आवाज़ में
सुनाया जाता है हुक़्म : खाना तैयार...
प्रशियाई उकाब
चूज़ों के गले में
ठूँसता है दाना ।
1953
मूल जर्मन भाषा से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य