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आदमखोर-1 / शुभा
Kavita Kosh से
एक स्त्री बात करने की कोशिश कर रही है
तुम उसका चेहरा अलग कर देते हो धड़ से
तुम उसकी छातियाँ अलग कर देते हो
तुम उसकी जांघें अलग कर देते हो
तुम एकांत में करते हो आहार
आदमखोर! तुम इसे हिंसा नहीं मानते