भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आदमी और आदमी की जात देखिए / राजेश चड्ढा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

  
आदमी और आदमी की जात देखिए,
इसकी शह पे उसको दी है मात देखिए ।

इक हाथ में उसूल, दूजे में स्वार्थ है ।
साथ साथ उठेंगे दोनों हाथ देखिए ।

आपकी ख़ामोशी की कीमत बताइए,
निकल न जाए मुँह से सच्ची बात देखिए ।

अब दोस्तों से दुश्मनी का जादू सीख लो,
रिश्ते ही देंगे ज़ख़्मों की सौगात देखिए ।

अब गिरेगी छत या डूबेगा मेरा घर ,
आप दिल बहलाइए बरसात देखिए ।

इस नस्ल में ऐसे भी कुछ लोग होते हैं,
गोया है अदब बीवी सुलाया साथ देखिए ।