भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आदमी का जाया / केदारनाथ अग्रवाल
Kavita Kosh से
आदमी का
जाया
उपजाया भी,
न हुआ
अब तक
वह आदमी,
धरा-धाम का-
गौरव-गुन-ग्राम का-
कौड़ी का-छदाम का-
काम और नाम का।
रचनाकाल: २५/२६-१२-१९९१, बाँदा