Last modified on 2 अप्रैल 2012, at 01:47

आदमी का बच्‍चा / उत्‍तमराव क्षीरसागर

आदमी का बच्‍चा
नहीं भर सकता कुलॉंचें
रँभाती गायों के
नवजात बछड़ों की तरह

अभि‍शप्‍त है वह
पैदा होते ही रोने को