आदमी को आदमी से / राजकिशोर सिंह
रहता है इंतजार
आदमी का आदमी को
रहता है प्यार
आदमी को आदमी से
इसलिए आदमी के मुहल्ले में
रहना चाहता है आदमी
आदमी के मेले में
आनंद लेने के लिए
शामिल होता है आदमी
मगर
परहेज करता है उसी भीड़ में
आदमी से आदमी
पड़ोसी को देऽकर
मुँह छिपाता है
आदमी से आदमी
मौका पाने पर
दिल दुऽाता है
आदमी का आदमी
इतने इंतजार-प्यार के बाद
क्षणिक सुऽ के लिए
ऽून का प्यासा हो जाता
आदमी का आदमी
जमीन के लिए
बस्तियाँ उजाड़ता है
आदमी के लिए आदमी
अंत में
आदमी से बचने को
छिपता है आदमी
सुनसान पहाड़ों जंगलों की
तलाश करता है आदमी
आदमी से बचने को
पहरेदार रऽता है आदमी
दरवाजे पर रऽता है कुत्ता
आदमी से बचने के लिए आदमी
अब
प्यार है कुत्ते से आदमी को
इंतजार है कुत्ते का आदमी को
भरोसा है कुत्ते पर आदमी को
आशा है कुत्ते से आदमी को
कुत्ते की भीड़ पसंद है आदमी को
कुत्ते की तकदीर पसंद है आदमी को।