भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आदमी तो वह अच्छा है / तारा सिंह

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आदमी तो वह अच्छा है, पर बदनाम बहुत है
जबां से शिकायत कम, लगाता इलजाम बहुत है

तवस्सुर में जब होती है कोई मेहरजबी, तब
दिल के लिये आँखों से लेता काम बहुत है

बेदादे-इश्क की परवाह नहीं करता, देखते ही किसी
दिल खाम कलि को कहता,तेरी आँखों में ज़ाम बहुत है

न किसी के पास बैठता, न किसी को बैठने देता
अपने हिज्र में दिखाता मुकाम बहुत है

ख़ुदा से कहता बेखुदी है वस्ल में, या छाई है तेरी
हया, जो लोग कहते खुल्द में मिलता आराम बहुत है