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आदमी में रहता आदमी / बाजार में स्त्री / वीरेंद्र गोयल

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मुण्ड
मुण्ड
नरमुण्ड
घरों में आदमी
सार्वजनिक स्थानों पर आदमी
दफ्तरों में आदमी
वाहनों में आदमी
पहाड़ों पर,
पेड़ों पर,
आसमान पर,
धरा तो धरा
चाँद पर भी आदमी
भर देना चाहता है शून्य
सितारों-सा
मुण्ड
मुण्ड
नरमुण्ड
चमकते सब जगह
गर्भ में भी आदमी
वीर्य में भी आदमी
किससे तुलना करें
इस रफ्तार की
कीड़े-मकोड़ों की
पीछे छोड़ दिया
पशु-पक्षियों को
पछाड़ दिया
कितनी तेजी से बढ़ा
कितनी फुर्ती से जमा
भौचक हैं सब
भौचक है आदमी
मुण्ड
मुण्ड
नरमुण्ड
इंच-इंच में भरा
आदमी में रहता आदमी।