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आदमी है यार, पर इतना नहीं / पुरुषोत्तम प्रतीक
Kavita Kosh से
आदमी है यार, पर इतना नहीं
है उसे भी प्यार पर इतना नहीं
दब न जाऊँ आपके अहसान से
प्यार है स्वीकार पर इतना नहीं
ज़िन्दगी ये रास्ता तेरी तरह
है ज़रा दुश्वार पर इतना नहीं
आचरण में शब्द का संसार है
जी सके संसार पर इतना नहीं
तोड़ने से टूटता कैसे भला
है पुराना तार पर इतना नहीं