आदर आवऽ, बादर आवऽ / सतीश मिश्रा
आदर आवऽ, बादर आवऽ, आवऽ ए करीवा बादर
बरसे बुन्नी रिमझिम, पानी झमझम।
काठ बनल हे फुजकित केला, पत्थर बुतरू कोपल,-बादर आवऽ
फोफिआइत हे असरा जइसे गोहुमन बरछी घोपल,-बदरा आवऽ
लहकित बुढ़वा बर-बर माँगे-कर दऽ छहुँरी कनकन आदर आवऽ,
हहर-हहर के ओहरल जमुना, मुरझल हरिअर कंुज-बादर आवऽ
कदम में झूला लगे त कइसे, गड़े गोड़ में मुंज,-बादर आवऽ
ठुनकित हे राधा कजरी, कान्हाँ भूलल सरगम-आदर आवऽ
खेत-खेत में अभी लीख हे बैला के गाड़ी के,-बादर आवऽ
जइसे पिअरी न छूटल हे गौनहेरी साड़ी के,-बादर आवऽ
पानी गेल पताल, मछरिआ कल्हटे, पोखर ढनढन-आदर आवऽ
आहर, नाहर, पइन, पनाला में दरकल हे पाँकी,-बादर आवऽ
बनल पवनसुत देखा रहल हे बांध फार के छाती,-बादर आवऽ
लउक रहल हे कुँहके, छछने, ढनके के फिर लच्छन-आदर आवऽ
कहीं खूब बरसित हे पानी, सुन के अँखिया बरसे,- बादर आवऽ
जइसे नइहर में जीजा के देख के गोरिया तरसे,-बादर आवऽ
मोर सजन कब ठोर जुड़ावत, नाचत मोरनी छमछम-आदर आवऽ
धीआ माथे सेनुर देखूँ-ई लागी तूँ आवऽ,-बादर आवऽ
चाभे बुतरू मांड-भात, गोरू भिर घास गिरावऽ,-बादर आवऽ
डंडिया डँड़िया पगड़ी-चूड़ी बोले हर हर बम बम-आदर आवऽ